कोरोना मरीजों पर कितना कारगर होगा बकरी का दूध
बकरी का दूध बहुत से लोगों को भले ही पसंद नहीं आता लेकिन उसके फायदे बहुत हैं।औषधीय गुणों के कारण यह विशेष गंध वाला होता है। इसे अब आम लोग भी समझने लगे हैं। इसलिए डेंगू जैसे रोगों के मरीजों के लिए इसकी मांग लगातार बढ़ी है।जरूरत इस बात की है कि कोविड मरीजों पर भी इसके प्रभावों का परीक्षण किया जाए ताकि वनस्पतियां खाकर दूध देने वाली बकरी के दूध की उच्च गुणवत्ता का लोगों को पता चल सके।
यदि यह लाभकारी सिद्ध होता है तो विश्व में फैल रही महामारी मैं सहयोगी सप्लीमेंट के रूप में इसका प्रयोग हो सके। बकरी के दूध को दोयम दर्जे का समझा जाता है लेकिन यह दूध कई मामलों में औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसमें कई प्राण रक्षक तत्व तो गाय के दूध से भी ज्यादा होते हैं। दिनों दिन बढ़ती दूध की मांग के दौर में ग्रामीण अंचल में यह सस्ता और सहज ही मिल जाता है।कहावत जैसा खाए अन्न वैसा रहे मन भी सटीक बैठती है।
बकरी या जंगल में औषधीय पौधों को ही अपना आहार बनाती हैं और उनके दूध में इसकी सुगंध और तत्व दोनों होते हैं। इस दूध में औषध ही गुणों की मात्रा भी प्रचुर होती है। बकरी का दूध मधुर, कसैला ,शीतल ,ग्राही ,हल्का ,रक्तपित्त ,अतिसार, क्षय, खांसी और ज्वर को नष्ट करने की क्षमता बढ़ाता है । यह वैज्ञानिकों द्वारा सत्यापित तथ्य है। बकरी पालन करने वाले लोग भी इसीलिए रोगों के शिकार कम होते हैं। पिछले सालों में डेंगू बुखार के दौरान बकरी के दूध की उपयोगिता जरूर सिद्ध हुई।
लोग बकरी का दूध खोजते नजर आए।रूटीन में यदि बकरी के दूध का सेवन किया जाए तो अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। बकरी का दूध गाय के दूध से मिलता जुलता होता है लेकिन इसमें विटामिन बी 6, भी 12 सी एवं डी की मात्रा कम पाई जाती है।इसमें फोलेट बैंड करने वाले अवैध की मात्रा ज्यादा होने से फोलिक एसिड नामक आवश्यक विटामिन की बच्चों के शरीर में उपलब्धता कम हो जाती है।
लिहाजा 1 साल से कम उम्र के बच्चों को बकरी के दूध नहीं पिलाना चाहिए। बकरी के दूध में मौजूद प्रोटीन गाय भैंस की तरह जटिल नहीं होती। इसके चलते यह हमारे प्रतिरोधी रक्षा तंत्र पर कोई प्रतिकूल असर नहीं डालता। संयुक्त राज्य अमेरिका में गाय का दूध पीने से कई तरह की एलर्जी के लक्षण बच्चों में देखे जाते हैं। इनमें लाल चकत्ते बनना ,पाचन समस्या, एग्जिमा आदि प्रमुख हैं। बकरी के दूध इन सब से स्वयं बचाता है। बकरी के दूध में गाय के दूध से दोगुनी मात्रा में स्वास्थ्यवर्धक फैटी एसिड पाए जाते हैं। बकरी के दूध में प्रोटीन के अणु गाय के दूध से भी सूक्ष्म होते हैं। इसके कारण यह दूध कम गरिष्ठ होता है और गंभीर रोगी भी इसे बचा सकता है।
गाय का दूध किसी बच्चे के पेट में पचने में 8 घंटे लेता है वही बकरी के दूध मात्र 20 मिनट में पच जाता है।जो व्यक्ति लेप्टोंस को पचाने की पूर्ण क्षमता नहीं रखते हैं वह बकरी के दूध आसानी से पचा लेते हैं। बकरी का दूध अपच दूर करता है और आलसी को मिटाता है। इस दूध में शायरी बस में पाए जाने के कारण आंतरिक तंत्र में अम्ल नहीं बनता। थकान सिरदर्द मांसपेशियों में खिंचाव अत्याधिक वजन आदि विकार रक्तम लिया था और आंतरिक टी एच के स्तर से संबंध रखते हैं। बकरी के दूध से म्यूकस नहीं बनता है। पीने के बाद गली में चिपचिपाहट भी नहीं होती। मानव शरीर के लिए जरूरी सेलेनियम तत्व बकरी के दूध में अन्य पशुओं के दूध से ज्यादा होता है। यह तत्व एंटीऑक्सीडेंट के अलावा प्रतिरोधी रक्षा तंत्र को उच्च व निम्न करने का काम करता है। एचआईवी आदि रोगों में से कारगर माना जाता है। इसमें आने वाली विशेषकर इसके औषधीय गुणों को परिलक्षित करती है।